गाँधी के विचारो के सम्मान का मतलब ये नही ...
आजाद और भगत से इरादे हम छोड़ दे ..
अहिंसा के है हम पुजारी, इसका मतलब ये नहीं ..
सवाभिमान से जीने के इरादे हम छोड़ दे ..
चाहते है अमन हम पडोसी से, इसका मतलब ये नहीं ...
अपने घर की सुरक्षा के इरादे हम छोड़ दे ...
वक़्त नहीं अब खामोसी का ....
वक़्त नहीं खोखले वादों का ...
वक़्त है अब जांबाजी का ...
वक़्त है मजबूत इरादों का ...
जवाब अब भी ना दिया तो फिर यही दोहोरयेगे ....
फिर लेने जान हमारे जवानों की सीमापार से आयेगे ...
कब तक हम ये आतंकवाद यू ही सहते रहेगे ..
दोबारा किया तो कड़ा जवाब देगे, यू कहते रहेगे ...
कभी मुंबई तो कभी दिल्ली को उन्होंने दहलाया है ...
हर बार लेकर सैकड़ो जाने हजारो घरो को रुलाया है ...
बस अब ना और सहेंगे ..
अब तो जवाब जरुरी है ..
अब तुम क्या कहोगे ..
हमारी क्या मज़बूरी है ...
शांति वार्ता बहुत हुई ,अब असल शांति जरुरी है ...
क्रिकेट बहुत हुआ हथियार उठाना अब मज़बूरी है ...
शहीद तो होते वैसे भी, लाखो हमारे जवान है ...
पर अब जरुरी मिटाना, पाक का नामोनिशान है ....
हिंदुस्तान खामोस बैठा, पर अब भी इसमें जान है ...
कही समझ ना ले कोई के, कायर हिंदुस्तान है ...
-AC
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