दौड़ में दुनिया की ,
सरपट दौड़ने लगे सभी ...
पूछने की एक सवाल,
जरा फुर्सत ना मिली ..
के हम दौड़ क्यों रहे है,
जाना है कहा, है मंजिल किधर ..
क्या है हसरते दिल की ,
क्या है ख्वाहिसे हमारी ...
दौड़ में दुनिया की,
सरपट दौड़ने लगे सभी ...
एक पल ठहर कर कही,
क्या खुद से पुछा है कभी ...
निकला था घर से,
क्या तु है आज भी वही ..
पहचान खुद की भीड़ मे,
खोने लगे है कही ..
खुद को ही जानने का,
कभी वक़्त मिला नहीं ..
दौड़ में दुनिया की,
सरपट दौड़ने लगे सभी ...
-AC
.सराहनीय अभिव्यक्ति . एकदम सही बात कही है आपने अफज़ल गुरु आतंकवादी था कश्मीरी या कोई और नहीं ..... आप भी जाने संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करें कैग
जवाब देंहटाएंthanks
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