एक सवाल करता है मुझे परेशान। ….
भगवान ने बनाया था हमे इन्सान। ….
और हम बन के रह गये।,हिन्दू और मुसलमान। ….
खेल रहे है हम जाने क्यों ये खून की होली। …
चला रहे है अपनों पर ही हम डंडे और गोली। …
कब तक हम यु टुकडो में जीते रहेगे। …
जहर नफरत का हम पीते रहेगे। …
कब निकलेगा वो सूरज। …
कब आयेगा वो सवेरा। …
जब कुछ ना होगा तेरा ,ना कुछ होगा मेरा। …
हम भाई बनकर आगे बढेगे। ….
हम आपस में नहीं ,
गरीबी और बेरोजगारी से लड़ेगे। …
हर कदम साथ साथ आगे बढायेगे। …
इस वतन को विकास के पथ पर ले जायेगे। …
हर बैनर झंडे छोड़ कर , एक तिरंगा लहरायेगे। …
सब नारों को भूल कर गायेगे एक नारा। ….
सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा। …
सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा। …
-AC
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें