घोटालो का लगा अम्बार,
सोयी रही देश की सरकार।। .
बेरोजगारी ने उड़ाये होश,
सरकार का है युवा जोश।।
इकोनोमी की हालत पतली ,
ये कहे हर हाथ तररकी।।
महँगाई की पड़ी ऐसी मार ,
के जन जन को छुआ जनजीवन बदला। ।
आत्महत्या करता देश का किसान ,
सरकार बोले हो रहा भारत निर्माण।।
खोल दिए घोषणाओ के पिटारे,
घर घर आयेगे अब ये सारे।।
धर्मनिरपेक्षता का ओढ़ के चोला ,
चेहरा बनाया कितना भोला।।
ये नहीं है कोई एक,
रूप धरे है इसने अनेक।।
अब भी ना जगा देश तो,
फिर बहुत पछतायेंगे।।
विकास की दौड़ में ,
बहुत पीछे रह जाएगे।।
-AC
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