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कोशिश .....An Effort by Ankush Chauhan भारतीय दर्शन विश्व के प्राचीनतम दर्शनो में से एक है इसमें अनेक वैज्ञानिक सिंद्धान्तो को प्रतिपादि...

स्वच्छ भारत अभियान: क्या स्वच्छ हुआ भारत ?

कोशिश .....An Effort by Ankush Chauhan
स्वच्छ भारत अभियान.


यू तो 2 अक्टूबर को हर वर्ष गांधी जयंती मनाई जाती है मगर 2 अक्टूबर 2014 कुछ खास हो गयी क्योकि उस दिन देश के नये बने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने एक अभियान की घोषणा की स्वच्छ भारत अभियान... स्वच्छ भारत अभियान एक उम्मीद बनकर आया के अब हमारा देश भी स्वच्छ बनेगा । देश मे एक माहौल बना लोग गंदगी से मुंह चुराने के बजाए उसको साफ करने के लिये आगे आये प्रधानमंत्री जी के आह्वान पर पूरा देश चल दिया शहर, गाँव, कस्बो, गली और मोहल्लों स्वच्छ्ता की समितियां बनने लगी । काम भी करने लगी सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं ने भी अपनी भागीदारी निभाई और नेता, अभिनेता, मन्त्री , संतरी सभी झाड़ू लेकर सड़को पर आ गए । कुछ गंदगी को साफ करने को तो कुछ फोटो खिंचाने को खैर जो भी हो एक माहौल तो बना ही । मगर क्या सच मे स्वच्छ बना भारत ? आज भी वही गंदगी के ढेर , बड़े बड़े कूड़े के मैदान , नदियों नालो का प्रदूषण किसी से छुपा नही। सरकार की स्वछता की मुहिम भी अब बस स्वच्छ भारत से खुले में शौच मुक्त भारत तक सीमित हो गयी। क्योकि उन्हें भी यही आसान दिखा। क्योकि कुछ तो हो न दिखाने के लिये हमारे सरकारी बाबू को ऊपर प्रधानमंत्री जी को भी तो बताना है के कितने सफल रहा हमारा अभियान।

सरकार भी मानती है के देश मे गंदगी के कारण अनेक बीमारियों के कारण स्वास्थ सेवाओ पर करोड़ो का खर्च करना पड़ता है। साथ ही who की एक रिपोर्ट के अनुसार गंदगी के कारण देश के प्रत्येक नागरिक को 6500 रुपये प्रति वर्ष का अतिरिक्त खर्च झेलना पड़ता है। भारत सरकार द्वारा जारी आकड़ो के अनुसार वर्ष 2016 में डेंगू के 129166 मामले सामने आए अकेले देल्ही में ही 4431 मामले थे। ये सब बातें और अकड़े ये समझने के लिये काफी है कि देश मे स्वच्छ्ता की कितनी जरूरत है। मगर ये सिर्फ सड़को पर झाड़ू लगाने या शौचालय बनवा देने से संभव नही शौचालय एक पक्ष है वो हर घर और संस्थानों में होना चाहिये । मगर साथ ही जरूरी है कूड़े कचरे की समस्या जो शहर और गाँव मे कूड़े के पहाड़ लगे है उनके निस्तारण की। सड़कों और गलियों को साफ़ करने में तो जनता ने आपका सहयोग किया मगर गाँव शहर की सरकारी मशीनरी को भी जागना होगा कही कही तो कूड़ा डालने के लिये उचित व्यवस्था नही कोई डस्टबिन या कूड़े दान तो छोड़ो कोई बस्ती और रिहायशी इलाकों से दूर कूड़े को डालने की जगह ही नही खुद सरकारी गाड़ियों को कूड़ा नदी नालों या कही भी किसी खाली मैदान में डालते देखा जाता है। कूड़े के निस्तारण की कोई तकनीक और व्यवस्था ही नही। देश के इतने बड़े बड़े संस्थान इतना बड़ा लोकतंत्र अगर कूड़ा निस्तारण का कोई आधुनिक तरीका नही निकल सकता या कोई व्यवस्था नही कर सकता तो स्वच्छ भारत का सपना एक सपना ही रहने वाला है। देल्ही जो देश की राजधानी है वहाँ भी स्थित बहुत बुरी है कूड़े के पहाड़ के कारण लोगो का मरना क्या ये राजधानी की खबर है सुनकर भी अजीब लगता है। अगर वहाँ ये स्तिथ है तो देश के दूर दराज़ के इलाकों में क्या होगा। कैसे हम हमारे देश को विदेशों की तरह साफ सुथरा और सुंदर बना पाएंगे। क्या ये सिर्फ सपना रहने वाला है। या सरकारी बाबुओ के आकड़ो में एक सफल योजना। और अकड़े भी वो जो बंद कमरों में बनते है।

नई सरकार और नए प्रधानमंत्री ने एक उमीद जगाई थी नए भारत की मगर ऐसे तो भारत नया नही बन पाएगा और ना ही सिर्फ शौचालय बनाने से स्वच्छ भारत भी नही बन पाएगा। 
एक बात और जानने की जरूरत है क्यो स्वच्छ भारत अभियान के लिये गांधी जयंती को ही चुना गया । क्योंकि गांधी जी शायद स्वच्छ्ता के बड़े पुजारियों में से एक है उन्होंने हमेशा राष्ट्र को स्वच्छता के प्रति प्रेरित करने का प्रयाश किया।  गाँधी जी ने हमेशा से ही स्वच्छ्ता के महत्व को समझाने का प्रयास किया उन्होंने आजीवन स्वछता के महत्व को समझाया.
 भारत में गांधीजी ने गांव की स्वच्छता के संदर्भ में सार्वजनिक रूप से पहला भाषण 14 फरवरी 1916 में मिशनरी सम्मेलन के दौरान दिया था। 
उन्होंने वहां कहा था ‘देशी भाषाओं के माध्यम से शिक्षा की सभी शाखाओं में जो निर्देश दिए गए हैं, मैं स्पष्ट कहूंगा कि उन्हें आश्चर्यजनक रूप से समूह कहा जा सकता है,गांव की स्वच्छता के सवाल को बहुत पहले हल कर लिया जाना चाहिए था।’
गांधीजी ने हमेशा स्वच्छता की  आवश्यकता पर जोर दिया था।
 20 मार्च 1916 को गुरुकुल कांगड़ी में दिए गए भाषण में उन्होंने कहा था ‘गुरुकुल के बच्चों के लिए स्वच्छता और सफाई के नियमों के ज्ञान के साथ ही उनका पालन करना भी प्रशिक्षण का एक अभिन्न हिस्सा होना चाहिए,... स्वच्छता निरीक्षकों ने हमें लगातार चेतावनी दी कि स्वच्छता के संबंध में सब कुछ ठीक नहीं है...
गाँधी जी कहते थे के "आप वह बदलाव खुद बनिए जो आप दूसरों में देखना चाहते हैं"
तो यही सफाई के सम्बन्ध में है हम सब सफाई देखना चाहते है ऐसा नही है के किसी को भी गंदगी पसंद हो मगर जब बारी सफाई करने की आती है तो हम दूसरों का मुंह ताकते है हम लोगो पर निर्भर हो जाते है ।

गाँधी जी नर कहा था के
 “So long as you do not take the broom and the bucket in your hands, you-cannot make your towns and cities clean.” 
 “जब तक आप झाड़ू और बाल्टी अपने हाथों में नहीं लेते हैं, तब तक आप अपने कस्बों और शहरों को साफ नहीं कर सकते।” 
तो ये बात काफी हद तक सही भी थी। गांधी जी से स्वछता के सम्बंद काफी जोर दिया ।
25 अगस्त 1925 को कलकत्ता अब (कोलकाता) में दिए गए भाषण में उन्होंने कहा, ‘वह (कार्यकर्ता) गांव के धर्मगुरु या नेता के रूप में लोगों के सामने न आएं बल्कि अपने हाथ में झाड़ू लेकर आएं। गंदगी, गरीबी निठल्लापन जैसी बुराइयों का सामना करना होगा।
19 नवंबर 1925 के यंग इंडिया के एक अंक में गांधीजी ने भारत में स्वच्छता के बारे में अपने विचारों को लिखा। उन्होंने लिखा, मैन ‘देश के अपने भ्रमण के दौरान मुझे सबसे ज्यादा तकलीफ गंदगी को देखकर हुई...इस संबंध में अपने आप से समझौता करना मेरी मजबूरी है।’

स्वच्छ्ता के महत्व को समझाते हुए उन्होंने इसकी तुलना भक्ति से की उन्होंने कहा था के
“Cleanliness Is Next to Godliness.” 
स्वच्छता भक्ति के बाद दूसरी सबसे महत्वपूर्ण चीज़ हैं
सही भी है हमारे शास्त्रों में भी कहा गया है के स्वच्छता में ही ईश्वर का वास होता है।

ग़ांधी जी कहते थे के
I will not let anyone walk through my mind with their dirty feet.
मैं किसी को भी अपने गंदे पाँव के साथ मेरे मन से नहीं गुजरने दूंगा।


गाँधी जी उस समय मे देश की बड़ी समस्या पर अपने विचार रखे उन्होंने गंदगी को सबसे बड़ा शत्रु समझा वो शायद तब आज की स्तिथि को देख पा रहे थे। तो अगर राष्ट्र उन्हें ही सच्चे अर्थों में श्रदांजलि देना चाहता है तो वो उनके सपनों का भारत बना कर दे सकता है उनके सपनों का भारत स्वच्छ भारत। क्या हम ये कर सकते है।

सरकार और सरकारी बाबुओ को प्रधानमंत्री के मन की बात समझनी चाहिये और स्वच्छ भारत अभियान का सही मतलब और वही सही स्वच्छ भारत अभियान सही में कुछ परिवर्तन ला सकता है साथ में सरकारी योजनाओं में सही ढंग से उसके लिये कार्ये करना होगा। क्योकि पहला चरण जनता को स्वछता का मतलब समझना था और जनता को साथ जोड़ना था वो अब हो चुका है अब आपको अगले पड़ाव पर जाना होगा । नही तो ऐसे कैसे होगा स्वच्छ भारत अभियान पूरा।

-AC

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