अक्सर हम इंसान सोचते है के इस धरती पर इंसानी अस्तित्व की शुरुआत कैसे हुई आखिर हम इंसान का विकास कैसे हुआ तो इसका जवाब हमारी आधुनिक विज्ञान की किताबे ये बताती है कि हमारा विकास बंदरों से हुआ, हो सकता है वो सही हो, परन्तु ऐसा कैसे संभव है की उसके बाद लाखो सालो में एक भी बन्दर इंसान नहीं बना शायद हममे से किसी ने कभी किसी बन्दर को इंसान बनते नहीं देखा शायद डार्विन की ये कहानिया कुछ हिन्दू धर्म ग्रंथो में पढ़ी कुछ घटनाओ के आधार पर निर्मित की गयी हो जैसे उनकी थ्योरी ऑफ़ ऐवेलूशन सीधे सीधे दशावतार की कथा से प्रेरित है परन्तु वैज्ञानिको का ये मत की इंसान बन्दर से परिवर्तित हुए है ये कैसे कहा जा सकता है आप सोचिये अगर ऐसे ही कोई जीव दूसरे जीव में बदल गया होता तो ये परिवर्तन आज भी चल रहा होता और आज की उन्नत तकनीक और वैज्ञानिक समझ और जाँच उन्हें पकड़ भी पाती मगर ऐसा कही नहीं हो रहा है क्योकि ऐसा हुआ नहीं ऐसा किया गया जो वो दशावतार का घटनाक्रम दीखता है जिसे डार्विन ने थ्योरी ऑफ़ ऐवेलूशन कहा वो एक महान सभ्यता के महान प्रयोग का हिस्सा था वो एक समझदार जीव उत्पन्न करना चाहते थे
और जिसमे वो सफल भी हुए एक ऐसा जीव जो अपने मस्तिष्क का बेहतर इस्तमाल कर सके कुछ वैसा ही जैसा हम इंसान आज आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस से युक्त रोबोट बनाने का प्रयास कर रहे है मगर वो सभ्यता हमसे कही जयदा विकसित थी इसका प्रमाण हमे कई प्राचीन इमारतों से पता चलता है जैसे ग़िज़ा के पिरमिन्ड , भारत का कैलाश मंदिर ये ऐसे अद्भुत उद्धरण है जिन्हे शायद आज की उन्ननत तकनीक से भी हूबहू फिर से बनाने का प्रयास किया जाये तो सैकड़ो साल लग जायेगे अब एक विचार मन में आता है के वो कौन थे जिन्होंने ऐसा किया वो कहा से आये थे अब कहा है और अब आकर कुछ नया निर्माण क्यों नहीं करते , जब हम इन सवालो का जवाब ढूढ़ने का प्रयास करते है तो एक विचार मन में आता है के कही कोई ऐसी दुनिया हो जो किसी कारण से नष्ट होने की कगार पर हो और वहाँ के समझदार जीव अपने नष्ट होने से पहले एक नयी दुनिया बसा कर गए हो , शायद हो सकता है के वो मंगल ग्रह से हो क्योकि आज के वैज्ञानिक भी इस बात की सम्भावना को मानते है के कभी मंगल में भी जीवन था।
तो हो सकता है मंगल ग्रह से आये कुछ लोगों ने धरती को इसके लिए चुना हो और यहाँ के वातावरण के हिसाब से जीवन में परिवर्तन किया हो और उस जीवन के विकास के क्रम को दशावतार का नाम दिया गया हो। अब हम आते है अपनी पुरानी बात पर के वैज्ञानिक एक खोज ये मानती है के इंसान का डीएनए बन्दर से काफी हद तक मेल खाता है तो वो कैसे हो सकता है , उन विकसित जीवों ने धरती पर कई जीव बनने के बाद उनमें से अपने कार्य योग्य उचित जीव का चुनाव किया और उसमे अपना डीएनए मिला दिया ये एक एक्सट्रीम जेनेटिक इंजीनियरिंग बेहतरीन उद्धरण है जिसका परिणाम हम इंसान है और वो हमे वेद, विमान शास्त्र, वैशेषिक सूत्र और अन्य कई ग्रंथों में ज्ञान और विज्ञान के अनेक रहस्यों को भी हमे समझने का प्रयास कर गए , साथ ही अपनी यादो के रूप में कुछ इमारतों को भी बना गये। अब सवाल आता है के आखिर क्यों कोई हमारे लिए इतना सब कुछ करेगा , और वो खुद यहाँ क्यों नहीं रहे ? वो यहाँ इसलिए नहीं रहे क्योकि यहाँ का का वातावरण उनके जीवन के अनुकूल नहीं था और किसी ग्रह का वातावरण परिवर्तित करना नया वातावरण बनाना वो भी व्यापक स्तर पर पुरे एक ग्रह के लिए एक काफी खर्चीला और समय को लेने वाला कार्य है जबकि जेनेटिक रिसर्च के लिए प्रयोगशाला भी काफी है, आज भी वैज्ञानिक ऐसे कार्य कर लेते है. अब सवाल आता है के उन्होंने ऐसा क्यों किया हमारे लिये , इसका जवाब आप खुद देंगे क्यों आप अपने बच्चो के लिए इतना सब कुछ करते है ,क्यों आप उनके लिए ज्ञान, विज्ञान, सुख सुविधा जुटाते है क्यों ? तो जवाब है क्योकि उनमे आपका डीएनए है मानव सभ्यता आज भी डीएनए को ट्रांसफर और संरक्षित ही तो कर रही है उसी डीएनए ट्रांसफर को हम पीढ़ियों का आगे बढ़ना कहते है हम उन्ही परग्रही जीवो की ही पीढ़ी है हम उनके डीएनए को आगे बड़ा रहे है उन्होंने हमे अपने डीएनए से एक खास चीज जिसने हमे बन्दर से इंसान बनाया वो है ज्ञान , इसे आप इनफार्मेशन / सुचना कह सकते है डीएनए में एक बहुत बड़ी ताकत है इस पृथ्वी की सारी ज्ञात सूचना जो दुनियाँ भर के कंप्यूटर में समाहित है उसे बस कुछ डीएनए में स्टोर किया जा सकता है और डीएनए पीढ़ी दर पीढ़ी ज्ञान को संचारित कर सकता है तो हम जब चाहे अपने पूर्वजो के ज्ञान को अपने डीएनए से प्राप्त कर सकते है।
-AC
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