it is a blog about social issue,science and technology, health, Yoga, India, tourism, and poem by Ankush Chauhan ©Ankush
Featured post
भारतीय दर्शन और आधुनिक विज्ञान
कोशिश .....An Effort by Ankush Chauhan भारतीय दर्शन विश्व के प्राचीनतम दर्शनो में से एक है इसमें अनेक वैज्ञानिक सिंद्धान्तो को प्रतिपादि...
Truth of life ,जीवन का सत्य बताती एक कविता, मैं बैठा गंगा के तट पर
कैसे बनेगा भारत विकसित राष्ट्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने लाल किले की प्राचीर से अगले 25 साल में भारत को विकसित देश बनाने का महासंकल्प दिलाया है. उन्होंने कहा कि जब आजादी के 100 साल पूरे होंगे, तब देश विकसित देश बनना चाहिए. आखिर विकसित राष्ट्र का अर्थ क्या है क्या सिर्फ आर्थिक विकास करने मात्र से हम विकसित हो जायेगे? विकास का अर्थ है आर्थिक , वैचारिक , सांस्कृतिक विकास । अपनी संस्कृति की रक्षा करते हुए सैद्धांतिक वैचारिक मूल्यों के साथ आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाना ही सच्चा विकास है । जब तक हम उस विकास को प्राप्त न कर ले चाहे कितना भी आर्थिक सुदृढ हो जाये विकसित राष्ट्र नही हो सकते भले ही वर्ल्ड बैंक के आंकड़े हमे विकसित राष्ट्र कहने लगे। इसमें सबसे पहले आता है वैचारिक मूल्य , जब तक हमारे विचार मूल्यवान नही होंगे हमारी सोच मूल्यवान नही होगी तब तक हमारे कर्म भी मूल्यवान नही होगे समाज मे फैला चोरी, रिश्वत, भ्रष्टाचार , हेरा फेरी, अनैतिक तरीको से धन कमाना, सरकारी सम्पतियों की लूट, जमीनों /सड़को पर अवैध कब्जे, अपने घरों के रैंप सड़क पर ले आना, समाज सेवा का धन्धा बना देना, राजनीति को कमाई जा जरिया समझना, अपने दायित्वों का ईमानदारी से निर्वाह न करना ये सभी वैचारिक पतन के ही कारण है चोरी, रिश्वत भ्रष्टाचार, हेरा फेरी करने वाले के साथ हम भी दोषी है क्योकि इन अनैतिक तरीको से धनार्जन करने वाले इन लोगो का हम तिरस्कार नही करते बल्कि हम लोग उन्हें समाज का सम्मानित व्यक्ति बना देते है , हम या हमारा अपना कोई किसी ऐसी नौकरी में जाता है जिसमे तनख्वाह कम है तो हम उसमे संतोष और संयम नही सीखते बल्कि उसमे ऊपर की कमाई देखते है यही वैचारिक पतन है, सरकारी जमीनों, सड़को पर कब्जे को तो आज हम अपना अधिकार समझते है घरों के रैम्प तो सड़को पर आते ही है अब तो घर भी 2 -4 फिट सड़को पर दिख जायेगे, इसमें न तो बनाने वाले को शर्म आती है ना ही देखने वालों को आज समाज की नज़र में इनका विरोध करने वाला मूर्ख है यही वैचारिक पतन है, राजीनीति आज सेवा का नही रोजगार का माध्यम बन गया है लोगो का वैचारिक पतन इस हद्द तक हो गया है के लोगो का राजनीति में घुसने का उद्देश्य कमाई के साधन और सरकारी सम्पति/ संसाधनों पर कब्जे के मार्ग ढूंढना है , कोई सरकारी सेवा हो या कोई निजी सेवा अपने दायित्वों का सही से निर्वहन ना करना वैचारिक पतन ही है। इसलिये जब तक वैचारिक विकास ना हो आर्थिक विकास हो भी जाये तो उसका लाभ आम जनमानस तक नही पहुँच सकता । दूसरा सांस्कृतिक विकास, इसका आधार वैचारिक विकास ही है क्योंकि हमारी संस्कृति वैचारिक मूल्यों पर ही आधारित है जिसमे मैं नही हम की भावना सर्वोपरि रही है हमारी संस्कृति सर्वेभवन्तु सुखिनः की रही है जब सब सुखी होंगे तो तो मेरा भी सुखी होना स्वाभाविक है परंतु मेरा सुख सभी के साथ मूल्यवान है, हमारी संस्कृति में एक समय राम एक वचन के लिए सारी सत्ताओ को छोड़कर वन चले जाते है और आज लोग छोटे से प्रधान - दिवान बनने के बाद ही जनता को दिये अपने वचनों को भूल जाते है बडी सत्ताओ का तो कहना ही, क्या ये वैचारिक और सांस्कृतिक मूल्यों का पतन नही है। आज भाई भाई में सम्पति के विवाद सामान्य बात है और कभी भरत जैसे लोग सारी सम्पति प्राप्त होने पर भी सम्पति नही, अपने भाई का साथ चाहते है और उनकी खड़ाऊ को उनका प्रतीक मान कर उस राज्य सम्पति के सेवक बनकर भाई का इंतजार करते है । हमारे देश के सांस्कृतिक मूल्य बहुत मजबूत थे इसमें परिवार का महत्व था आज एकल परिवार का महत्व बढ़ गया व्यापार, व्यवसाय , रोजगार के लिए परिवार से अलग रहना अलग बात है परंतु स्वतन्त्र जीवन के नाम पर परिवार से अलग हो जाना वैचारिक और सांस्कृतिक मूल्यों का पतन है। ऐसी बहुत सी घटनाएं है समाज की जहाँ हम वैचारिक और सामाजिक पतन को देखते है इसलिये सही मायनों में सबसे पहले वैचारिक और सांस्कतिक विकास जरूरी है क्योंकि यही विकसित समाज और राष्ट्र की नींव है आज भी हमारे देश मे संसाधनों की इतना अधिक कमी नही , कमी है तो सही विचारों की, दूषित विचारों के कारण उन संसाधनों का सही लाभ आम जनमानस तक नही पहुँच पता । ये कार्ये सिर्फ सरकारों का नही है ये वैचारिक और सांस्कृतिक क्रांति जनमानस द्वारा ही लायी जा सकती है क्योंकि लोगो से ही समाज और राष्ट्र का निर्माण होता है, जब हम अपने निजी स्वार्थों से ऊपर राष्ट्र को रखना सिख जाये तो समझो परिवर्तन शुरू हो गया एक ऐसा परिवर्तन जो आपके और हमारे बच्चो के लिए सही अर्थों में विकसित राष्ट्र का निर्माण करेगा । यदि आज हम अपने विचारों को सही दिशा देगे तो वो ही उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करेगा।
-AC
जीवन को सार्थक बनाने के लिए ईश्वर से प्रार्थना सच्चे मन से वह शक्ति हमे दो दयानिधे
वह शक्ति हमें दो दयानिधे,
कर्तव्य मार्ग पर डट जावें।
पर सेवा पर उपकार में हम,
जग जीवन सफल बना जावें।
हम दीन दुखी निबलों विकलों
के सेवक बन संताप हरे।
जो हैं अटके भूले भटके,
उनको तारें खुद तर जावें।
छल दम्भ द्वेष पाखण्ड झूठ-
अन्याय से निशि दिन दूर रहे।
जीवन हो शुद्ध सरल अपना,
सुचि प्रेम सुधारस बरसावें।
निज आन मान मर्यादा का,
प्रभु ध्यान रहे अभिमान रहे।
जिस देश जाति में जन्म लिया,
बलिदान उसी पर हो जावें।।
मन मे संकल्प के साथ स्वयं को राष्ट्र को समर्पित करने के भाव से
Kumbh mela haridwar 2021, हरिद्वार कुम्भ मेला 2021
वैसे तो हरिद्वार में कुम्भ मेला हर 12 साल के बाद होता है, लेकिन इस बार यह ग्रह योग के चलते 11 साल में ही हो रहा है। इसलिये हरिद्वार में पड़ने वाला यह कुम्भ इस 1 साल पहले 2021 में हो रहा है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के समय एक अमृत कलश और विष निकला था जिसमे अमृत देवताओ के हिस्से और विष राक्षस के हिस्से में आया था विष को तो भगवान शिव ने पीकर पूरी सृष्टि की रक्षा की थी। शिव के उस रूप को समर्पित एक मंदिर नीलकंठ महादेव का मंदिर भी हरिद्वार से कुछ दूरी पर ऋषिकेश में नीलकंठ पर्वत पर स्तिथ है।
समुद्र मंथन में निकले उस अमृत की कुछ बूंदे देश के चार स्थानों पर गिरी और उन चारों स्थानों हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन। चारों नगरों में कुंभ का आयोजन होता है और यह आयोजन प्रत्येक नगर में ग्रहों की स्थिति विशेष में होता है। जैसे कुम्भ राशि में बृहस्पति का प्रवेश होने पर एवं मेष राशि में सूर्य का प्रवेश होने पर कुम्भ का पर्व हरिद्वार में आयोजित किया जाता है। और यह सयोग ही इस बार 2021 में ही पड़ रहा है। इसी लिये कुम्भ जो 12 साल में होता था इस बार 11 साल में ही हो रहा है इससे पहले 2010 में हरिद्वार में कुम्भ का आयोजन किया गया था।
कुंभ में नागा साधुओं और अखाड़ो का जिक्र न हो तो कुम्भ अधूरा है कहा जाता है के ये अखाड़े धर्म रक्षा सेना या संगठन है जो सनातन धर्म की रक्षा के लिए गठित किए गए हैं। विधर्मियों से अपने धर्म, धर्मस्थल, धर्मग्रंथ, धर्म संस्कृति और धार्मिक परंपराओं की रक्षा के लिए किसी जमाने में संतों ने मिलकर एक सेना का गठन किया था। वही सेना आज अखाड़ों के रूप में जानी जाती है।
कहा जाता है के आदिशंकराचार्य ने देश के चार कोनों में चार मठों और दसनामी संप्रदाय की स्थापना की। बाद में इन्हीं दसनामी संन्यासियों के अनेक अखाड़े प्रसिद्ध हुए,
देश मे धर्म रक्षा के लिए बने प्रमुख अखाड़ो में आवाह्न अखाड़ा, अटल अखाड़ा, महानिर्वाणी अखाड़ा,आनंद अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा और जूना अखाड़े का उल्लेख मिलता है। बाद में भक्तिकाल में इन शैव दसनामी संन्यासियों की तरह रामभक्त वैष्णव साधुओं के भी संगठन बनें, जिन्हें उन्होंने अणी नाम दिया। अणी का अर्थ होता है सेना। यानी शैव साधुओं की ही तरह इन वैष्णव बैरागी साधुओं के भी धर्म रक्षा के लिए अखाड़े बनें। जिनमे मुख्य
श्रीपंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन, श्री पंचायती निर्मल अखाड़ा है।
विभिन्न धार्मिक समागमों और खासकर कुंभ मेलों के अवसर पर साधु संगतों के बीच समन्वय के लिए अखाड़ा परिषद की स्थापना की गई, जो सरकार से मान्यता प्राप्त है। इसमें कुल मिलाकर तेरह अखाड़ों को शामिल किया गया है। प्रत्येक कुंभ में शाही स्नान के दौरान इनका क्रम तय है।
हरिद्वार कुंभ का पहला शाही स्नान, महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के अवसर पर 11 मार्च को होगा. 11 मार्च शिवरात्रि को पहले शाही स्नान पर संन्यासियों के सात और 27 अप्रैल वैशाख पूर्णिमा पर बैरागी अणियों के तीन अखाड़े कुंभ में स्नान करते हैं. 12 अप्रैल सोमवती अमावस्या और 14 अप्रैल मेष संक्रांति के मुख्य शाही स्नान पर सभी 13 अखाड़ों का हरिद्वार कुंभ में स्नान (Kumbh Snan) होगा.
कोरना महामारी के दौर में आयोजित होने वाला यह कुंभ मेला (Kumbh Mela) बीते अन्य कुंभ मेलों से काफी अलग होगा. इस बार कुंभ मेले के दौरान किसी भी स्थान पर संगठित रूप से भजन एवं भण्डारे के की मनाही रहेगी. उत्तराखंड सरकार ने कोरोना संक्रमण (Corona Virus) को रोकने हेतु यह नए नियम जारी किए हैं. कोरोना के कारण केन्द्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा कुछ गाइडलाइन जारी की गई है जिनका पालन करना अनिवार्य है। सरकार की गाइडलाइन के अनुरूप ही अपना हरिद्वार यात्रा का पालन बनाये।
हरिद्वार आने के लिए आप ट्रैन या बस द्वारा सीधे हरिद्वार शहर भी आ सकते है या हवाई मार्ग से जोलीग्रांट हवाई अड्डा आकर वह से टैक्सी द्वारा हरिद्वार आसानी से पहुच सकते है । हरिद्वार में आपके ठहरने के लिए कई बड़े छोटे होटल और धर्मशाला आसानी से उपलब्ध है फिर भी आसानी के लिए पहले से बुकिंग करके रखें तो ज्यादा सही होगा क्योंकि कुम्भ में काफी भीड़ भी होती है।
अगर आप कही दूर से आ रहे है तो कुंभ में हरिद्वार के साथ आसपास के क्षेत्र ऋषिकेश या देहरादून भी घूम सकते है या थोड़ा और समय निकाल कर उत्तराखंड की पहाड़ी वादियों का भी लुफ्त उठा सकते है।
-AC
Rishikesh, the yoga capital of the world
know more about yoga
blog ankush chauhan
Importance of festivals
Pondicherry, Visit France in India
Puducherry , union territory of India , a place in India where some people are living with french passport .You can see many board with french language. Puducherry formerly known as Pondicherry is a union territory of India. It was formed out of four exclaves of former French India, namely Pondichéry , Karikal , Mahé and Yanaon .
Uttrakhand..Land of the God
Place to visit in Uttrakhand
Uttrakhand also known as devbhumi (land of the God) is beautiful hill state in northern part of India. main language spoken in uttrakhand are Hindi, Garhwali, Kumaoni and jonshari . Shinskrit is given second offical language status in this state. uttrakhand has many tourist spot. There are many Hindu Shrines like badrinath, kedarnath, gangotri, yamunotri, nilakanth, haridwar etc and rishikesh is also attract tourists for Yoga and also known as the Yoga capital of India.
Important tourist destination of uttrakhand are
1.char dham-
badrinath , kedarnath, gangotri, yamunotri are known as chardham of uttrakhand. Badrinath is a vishnu Temple, kedarnath is a Shiva Temple, gangotri is the source of river ganga, yamunotri is the source of river Yamuna. access to the pilgrimage is either from haridwar, or rishikesh, or from dehradun.
2.Auli and valley of flowers-
auli is one of the best skiing destination of india. Auli also hosted SAF winter games in 2011.
Valley of follower is about 50 km from here. It is a bouquet of nature . It is a national park an a UNESCO world heritage site.
3.Rishikesh-
rishikesh is also known as Yoga Capital of India. There are many big yoga schools which attract the tourist and yoga scholar from all over the world. It is the most famous yoga destination.it is also famous for many adventure games like river rafting.
4. Haridwar-
haridwar , the door to the God, every year pilgrimage come here to take a dip in holi river ganga. Haridwar is famous for Khumb mela which is organised once in 12 year. And also famous for kawar mela.
5.Nanital-
Nanital is a beautiful town in kumaon region of Uttrakhand.It is one of the most famous hill station of Uttrakhand it is also famous for it's lake. It is set around Nainital Lake.it is also a famous honeymoon destination.
6. Corbett national park-
Jim Corbett national park is a forest wildlife sanctuary in Uttrakhand. Many animal including tiger, leopard can be seen there. there are many resort to stay at night to enjoy beautiful forest life.
7.Deharadun and masoori -
Deharadun is the capital of Uttrakhand and a beautiful city it is famous for it's budha temple, lachiwala, sastradhara and many other beautiful sits.
And masoori is the famous honeymoon destination near Deharadun. It is famous for it's water fall and shoping and beautiful site.
Comment and feedback
-AC
Know incredible India part-3
Know incredible India
Know incredible India part-2
8.Gujarat-
Language- Gujarati, HindiPlace to visit-somnath temple,Mandvi Be
9-Hariyana
10-Himachal
Language- Hindi, Panjabi, EnglishPlace to visit- Shimla, Manali, Dalhous
13- karnataka
16-Maharastra
Language- MarathiPlace to visit- elephanta cases, Gateway of india,elora cave, mumbai city and many more
17-manipur
18-Meghalya
Language- english , khashiPlace to visit- Eliphenta fall, Nohkalikai Fall, Umiam lake, Cherrapunji and many more
19-Mizoram
20-Nagaland
21-Odisha
22-Panjab
Language- Punjabi, Place to visit- Amritsar goldan temple, jalliyawala baagh, waha border and many more
23-Rajastan
Language- HindiPlace to visit- jaisalmer, udaipur, Pushkar, jaipur, Jodhpur and many more